बुधवार, 2 जुलाई 2008
क़रार को लेकर बेक़रार कांग्रेस
परमाणु करार को लेकर कांग्रेस बेकरार है । लेकिन वाम मोर्चा तकरार पर उतारु है। उसने साफ साफ धमकी दे रखी है कि भैया अमेरीका से करार किया तो हम आपका करार यानी चैन छीन लेंगे। कांग्रेस ने भी दो टूक कह दिया है कि अब चाहे सिर फूटे या माथा.. सरकार जाए या रहे .. हम तो अमेरीका से करार कर के ही रहेंगे। लेफ्ट की लाल झंडी के जवाब में कांग्रेस ने मायावती को पटाने की भी कोशिश की लेकिन बहनजी ने टका सा जवाब दे दिया। अब कांग्रेस साइकिल के सहारे करार की मंजिल तक पहुंचने का ख्वाब देख रही है। चारा डाल दिया गया है और समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह के बदले बदले सुर देखकर लग रहा है कि मछली जाल में फंस गई है। अब ये मछली कांग्रेस की झोली में गिरती है या जाल तोड़कर चंपत हो जाती है .. इसका जवाब तो आनेवाला वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल सियासी बिसात पर हर कोई अपनी अपनी गोटियां चलने में व्यस्त है। जनता महंगाई की मार से कराह रही है और पार्टियां सियासी खेल में मस्त है। न किसी को देश हित की पड़ी है और न ही जनता की । किसी ने परमाणु करार को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है तो कोई विरोध के लिए विरोध कर रहा है। हर कोई इसके जरिए चुनावी वैतरणी पार करने के सपने देख रहा है। अब इसमें किसे करार मिलता है और किसका करार छिनता है ये कहना मुहाल है।
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1 टिप्पणी:
करार पर सरकार का फैसला जो भी हो लेकिन एक बात तो साफ है कि अमेरिका इसके बहाने विकासशील भारत को अपने गिरफ्त में लेना चाहता है ताकि अमेरिकी और यूरोपिय उत्पादों के लिए विश्व के सबसे बड़े भारतीय बाज़ार पर कब्जा किया जा सके। करार को लेकर अंदरुनी राजनीति को आपने अच्छी तरह से बताने की कोशिश की है।
सुशील आर्यन....
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